बिहार बोर्ड 10वीं संस्कृत सब्जेक्टिव : Bihar Board 10th Sanskrit Subjective Question

Bihar Board 10th Sanskrit Subjective Question: यदि आप बिहार बोर्ड 10वीं वार्षिक परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो ऐसे में आप सभी के लिए संस्कृत विषय की भी तैयारी करना काफी महत्वपूर्ण होता है और ऐसे में आज की आर्टिकल में बिहार बोर्ड 10वीं वार्षिक परीक्षा के लिए संस्कृत विषय का पीयूषम भाग 2 का महत्वपूर्ण सब्जेक्टिव प्रश्न इस आर्टिकल में बताया गया है जो बिहार बोर्ड 10वीं वार्षिक परीक्षा के लिए काफी महत्वपूर्ण है यदि आप संस्कृत विषय का इस आर्टिकल में दिए गए सभी महत्वपूर्ण सब्जेक्टिव क्वेश्चन को पढ़ते हैं तो परीक्षा में बेहतर अंक का सकते हैं इसके अलावा संस्कृत भाग 2 का पाठ 1 भारतीय संस्कार के बारे में और भी ऑब्जेक्टिव को इस आर्टिकल के नीचे दिए गए प्रश्न को पढ़ सकते हैं।

Bihar Board 10th Sanskrit Subjective Question

1 शैक्षणिक संस्कार कितने हैं ?
अथवा, शिक्षासंस्कार का वर्णन करें।

उत्तर-शिक्षासंस्कारों में अक्षरारंभ, उपनयन, वेदारंभ, मुण्डन संस्कार और समावर्तन संस्कार आदि आते हैं। अक्षरारंभ में बच्चा अक्षर-लेखन और अंक-लेखन आरंभ करता है। उपनयनसंस्कार में गुरु के द्वारा शिष्य को अपने घर में लाना होता है। वहाँ शिष्य शिक्षा नियमों का पालन करते हुए अध्ययन करते हैं। केशान्त (मुण्डन) संस्कार में गुरु के घर में प्रथम क्षौरकर्म, अर्थात मुण्डन होता है तथा समावर्तन संस्कार का उद्देश्य शिष्य का गुरु के घर से अलग होकर गृहस्थ जीवन में प्रवेश करना होता है।

2 . पठित पाठ के आधार पर भारतीय संस्कारों का वर्णन अपनी मातृभाषा में करें।

उत्तर- भारतीय जीवन में प्राचीनकाल से हीँ संस्कारों का महत्त्व है। संस्कारों के सम्बन्ध में ऋषियों की कल्पना थी कि जीवन के प्रमुख अवसरों पर वेदमंत्रों का पाठ, गुरुजनों के आशीर्वाद, होम और परिवार के सदस्यों का सम्मेलन होना चाहिए। इन संस्कारों के उद्देश्य हैं मानव जीवन से दुर्गुणों को दूर करना और सद्गुणों का आह्वान करना। जन्म पूर्व तीन-गर्भाधान, पुंसवन और सीमन्तोनयन, संस्कार होते हैं, शैशवावस्था में छः संस्कार होते हैं-जातकर्म, नामकरण, निष्क्रमण, अन्नप्राशन, चूड़ाकर्म और कर्णबेध। पाँच शैक्षणिक संस्कार हैं-अक्षरारम्भ, उपनयन, वेदारम्भ, केशान्त और समावर्तन। यौवनावस्था में विवाह संस्कार होता है तथा व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका अन्त्येष्टि संस्कार किया जाता है। इस प्रकार भारतीय जीवन में कुल सोलह संस्कारों का प्रावधान किया गया है।

03. ‘भारतीयसंस्काराः’ पाठ में लेखक क्या शिक्षा देना चाहता है ?

उत्तर- लेखक इस पाठ से हमें यह शिक्षा देना चाहता है कि संस्कारों के पालन से ही व्यक्तित्व का निर्माण होता है। संस्कारों का उचित समय पर पालन करने से गुण बढ़ते हैं और दोषों का नाश होता है। भारतीय संस्कृति की विशेषता संस्कारों के कारण ही है। लेखक हमें सुसंस्कारों का पालन करने का संदेश देते हैं।

04 . संस्कार किसे कहते हैं ? विवाह संस्कार का वर्णन करें। पाँच वाक्यों में उत्तर दें।

उत्तर- व्यक्ति में गुणों के आधान को संस्कार कहते हैं। वैसे कुल सोलह संस्कार माने गए हैं। विवाह संस्कार होने पर ही वस्तुतः मनुष्य गृहस्थ जीवन में प्रवेश करता है। विवाह एक पवित्र संस्कार है जिसमें अनेक प्रकार के कर्मकाण्ड होते हैं। उनमें वचन देना, मंडप बनाना वधू के घर वरपक्ष का स्वागत, वर-वधू का एक-दूसरे को देखना, कन्यादान, अग्निस्थापना, पाणिग्रहण ।।

05 . भारतीय जीवन में संस्कार का क्या महत्व है ?

उत्तर – भारतीय जीवन में प्राचीन काल से ही संस्कार ने अपने महत्व को सँजोये रखा है। यहाँ ऋषियों की कल्पना थी कि जीवन के सभी मुख्य अवसरों में वेदमंत्रों का पाठ, वरिष्ठों का आशीर्वाद, हवन एवं परिवार के सदस्यों का सम्मेलन होना चाहिए। संस्कार दोषों का परिमार्जन करता है। भारतीय जीवन दर्शन का महत्वपूर्ण स्रोतस्वरूप संस्कार है।

06 . ‘भारतीयसंस्काराः’ पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।

उत्तर- ‘भारतीय संस्काराः’ पाठ भारतीय संस्कारों का महत्त्व बताता है। भारतीय जीवन-दर्शन में चौल कर्म (मुण्डन), उपनयन, विवाह आदि संस्कारों की प्रसिद्धि है। छात्रगण संस्कारों का अर्थ तथा उनके महत्त्व को जान सकें, इसलिए इस स्वतंत्र पाठ को रखा गया है। संस्कार से व्यक्ति संस्कृत होता है। इससे दोष दूर होता है तथा गुण प्राप्त होता है।

07 . ‘भारतीयसंस्काराः पाठ में लेखक का क्या विचार है ?

उत्तर – भारतीयसंस्काराः पाठ में लेखक का विचार है कि मनुष्य के व्यक्तित्व का निर्माण सुसंस्कार से ही होता है। इसलिए विदेशी भी सुसंस्कारों के प्रति उन्मुख और जिज्ञासु हैं।

08 भारतीय संस्कार का वर्णन किस रूप में हुआ है ?

. उत्तर – भारतीय संस्कृति अनूठी है। जन्म के पूर्व संस्कार से लेकर मृत्यु के बाद अंत्येष्टि संस्कार तक 16 संस्कारों का अनुपम उदाहरण संसार के अन्य देशों में नहीं है। यहाँ की संस्कृति की विशेषता है कि जीवन में यहाँ समय-समय पर संस्कार किये जाते हैं। आज संस्कार सीमित एवं व्यंग्य रूप में प्रयोग किये जा रहे हैं। संस्कार व्यक्तित्व की रचना करता है। प्राचीन संस्कृति का ज्ञान संस्कार से ही उत्पन्न होता है। संस्कार मानव में क्रमशः परिमार्जन, दोषों को दूर करने और गुणों के समावेश करने में योगदान करते हैं।

09 . साक्षात्कार के समय समिति सदस्य रामप्रवेश पर क्यों प्रसन्न हुए?

उत्तर – साक्षात्कार में समिति के सदस्यों ने रामप्रवेश के व्यापक ज्ञान से और वह भी उस प्रकार के पारिवारिक परिवेश में उसके श्रम और अभ्यास से बहुत प्रसन्न हुए।

10 . महाविद्यालय में प्रवेश के बाद रामप्रवेश किस प्रकार स्वाध्याय में लीन हो गया?

उत्तर। – महाविद्यालय में प्रवेश के बाद रामप्रवेश बहुत ही मन लगाकर पढ़ने लगा। वह दलित मगर लगनशील और परिश्रमी था। धन के अभाव में भी अध्ययनरत रहा। महाविद्यालय की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया। उसने केन्द्रीय लोक सेवा आयोग की परीक्षा में उत्तीर्ण होकर समाज के सामने एक आदर्श प्रस्तुत किया।

11 . रामप्रवेश की प्रतिष्ठा कहाँ-कहाँ देखी जा रही है?

उत्तर। – रामप्रवेश की प्रतिष्ठा अपने गाँव, विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय, अपने राज्य और केन्द्रीय प्रशासन में देखी जा रही है।

12 . “शिक्षा कर्म जीवनस्य परमागतिः’ रामप्रवेश राम पर उपरोक्त कथन कैसे घटित होता है?

उत्तर -बालक रामप्रवेश राम शिक्षक के सान्निध्य में निरन्तर विद्या प्राप्ति के लिए स्वाध्याय में संलग्न हो गया। अर्थाभाव के बावजूद स्वाध्याय व जिज्ञासु प्रवृत्ति के बल पर अनवरत सफलता प्राप्त करते हुए भारतीय प्रशासनिक सेवा में भी उन्नत स्थान प्राप्त किया। इस प्रकार ‘शिक्षा कर्म जीवनस्य परमागतिः’ की उक्ति रामप्रवेश राम पर अक्षरशः घटित हुई प्रतीत होती है।

13 . रामप्रवेशराम की चारित्रिक विशेषताएँ क्या थीं?

उत्तर- कर्मवीरकथा का प्रमुख पात्र रामप्रवेश राम है। रामप्रवेशराम दलित परन्तु लगनशील और परिश्रमी बालक है। गुरु का सानिध्य पाकर, विद्याध्ययन में लग गया। गुरु का आशीर्वाद और मेहनत से सफलतारूपी सीढ़ी चढ़ने लगा। धन के अभाव में भी अध्ययनरत रहा। विद्यालय और महाविद्यालय की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया। केन्द्रीय लोक सेवा आयोग की परीक्षा में उत्तीर्ण होकर समाज के समक्ष आदर्श प्रस्तुत किया। उसकी प्रशासनिक क्षमता और संकटकाल में निर्णय लेने की कुशलता सबों का ध्यानाकर्ष करता है।

14 ‘कर्मवीरकथा’ से क्या शिक्षा मिलती है?
अथवा, कर्मवीरकथा से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?

उत्तर- कर्मवीर शब्द से ही आभास होने लगता है कि निश्चय ही कोई ऐसा कर्मवीर है जो अपनी निष्ठा, उद्यम, सेवाभाव आदि के द्वारा उत्तम पद को प्राप्त किये हुए है। प्रस्तुत पाठ में एक ऐसे ही कर्मवीर की चर्चा है जो अभावग्रस्त जीवन-यापन करते हुए भी स्नेहिल शिक्षक का सात्रिध्य पाकर विविध बाधाओं से लड़ता हुआ एक दिन शीर्ष पद को प्राप्त कर लेता है। मनुष्य की जीवटता, निष्ठा, सच्चरित्रता आदि गुण उसे निश्चय ही सफलता की सीढ़ियों पर अग्रसारित करते हैं। अतः हमें भी जीवटता, निष्ठा आदि को आधार बनाकर सत्कर्म पर बने रहना चाहिए।

15 . रामप्रवेशराम का जन्म कहाँ हुआ था? उन्होंने देश की सेवा से कैसे यश अर्जित की ?

उत्तर -रामप्रवेशराम का जन्म भीखनटोला नाम के गाँव में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रशासन क्षमता तथा संकट के समय निर्णय लेने की सामर्थ्य से देश की सेवा कर यश अर्जित किया।

16 . कर्मवीर कौन था ? उनकी सफलता की कहानी पाँच वाक्यों में लिखें।
अथवा, रामप्रवेशराम की जीवनी पर प्रकाश डालें ।
अथवा, रामप्रवेशराम का चरित्र-चित्रण करें।

उत्तर – रामप्रवेशराम ‘कर्मवीरकथा’ का प्रमुख पात्र हैं। इनका जन्म बिहार राज्य अंतर्गत भीखनटोला में हुआ है। कभी खेलों में संलग्न रहनेवाले रामप्रवेशराम अध्यापक का सान्निध्य पाकर विद्याध्ययन में जुट गए। गुरु का आशीर्वाद और मेहनत उनकी सफलता की सीढ़ी बनते गये। धनाभाव के बीच भी उन्होंने अपना अध्ययन जारी रखा। विद्यालय स्तर से लेकर प्रतियोगिता परीक्षाओं में प्रथम स्थान प्राप्त करते गए। केन्द्रीय लोकसेवा आयोग परीक्षा में उत्तीर्ण होकर उन्होंने समाज के समक्ष अपना आदर्श प्रस्तुत कर दिया। उनकी प्रशासन क्षमता और संकट काल में निर्णायक सामर्थ्य सभी को आकर्षित करते हैं।

17 . कर्मवीरकथा पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।
अथवा, कर्मवीरकथा का सारांश लिखें ।

उत्तर- इस पाठ में एक पुरुषार्थी की कथा है, वह निर्धन एवं दलित जाति में जन्म जैसे विपरीत परिवेश में रहकर भी प्रबल इच्छाशक्ति तथा उन्नति की उत्कट कामना के कारण उच्च पद पर पहुँचता है। यह कथा किशोरों में आत्मविश्वास और आत्मसम्मान उत्पन्न करती है, विजय के पथ को प्रशस्त करती है। ऐसे कर्मवीर हमारे आदर्श हैं।

18 . रामप्रवेशराम किस प्रकार केंद्रीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा में सफल हुआ ?

उत्तर -रामप्रवेशराम एक कर्मवीर एवं निर्धन छात्र था। वह कष्टकारक जीवन जीते हुए अध्ययनशील था। वह पुस्तकालयों में अध्ययन किया करता था। वह अपने से नीचे वर्ग के छात्रों को ट्यूशन पढ़ाकर जीवनयापन करता था । परिणामस्वरूप केंद्रीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करने में सफल रहा।

19 रामप्रवेशराम की प्रारंभिक शिक्षा के विषय में आप क्या जानते हैं ?

उत्तर -रामप्रवेशराम भीखनटोला गाँव का रहनेवाला एक दलित बालक था। उस बालक को एक शिक्षक ने अपने विद्यालय में लाकर शिक्षा देना प्रारंभ ‘किया। बालक रामप्रवेशराम शिक्षक की शिक्षणशैली से आकृष्ट हुआ और शिक्षा को जीवन का परम गति माना । विद्या अध्ययन में रात-दिन लग गया और अपने वर्ग में प्रथम स्थान प्राप्त करने लगा ।

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