विश्व शांति और मंगलम पाठ महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न – Bihar Board 10th Subjective Question Sanskrit

10th Subjective Question Sanskrit : यदि आप बिहार बोर्ड 10वीं कक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो आज के इस आर्टिकल में दसवीं संस्कृत विषय का विश्व शांति पाठ और मंगलम पाठ का महत्वपूर्ण दीर्घ उत्तरीय और लघु उत्तरीय प्रश्न इस आर्टिकल में दिया गया है जिसे आप पढ़ कर दसवीं बोर्ड परीक्षा में बेहतर अंक ला सकते हैं इस आर्टिकल में दसवीं संस्कृत का सभी महत्वपूर्ण लघु और दीर्घ उत्तरीय प्रश्न दिया गया है इससे पहले दसवीं संस्कृत का 4 पाठ तक अपलोड किया गया है और इस आर्टिकल में पाठ 4 में विश्व शांति और मंगलम पाठ का सभी महत्वपूर्ण प्रश्न है जिसे आप इस आर्टिकल के नीचे पढ़ सकते हैं।

Bihar Board 10th Subjective Question Sanskrit

1 . विद्या व अहिंसा से क्रमशः क्या-क्या प्राप्त होता है? 

उत्तर – विद्या से परमतृप्ति की प्राप्ति होती है और अहिंसा सभी प्रकार का सुख देनेवाली है।

2. आज कौन-कौन से आविष्कार विध्वंसक हैं?

उत्तर- आजकल अत्याधुनिक अस्त्र-शस्त्र, आण्विक अस्त्र, जैविक अस्त्र इत्यादि अनेकों आविष्कार विध्वंसक हैं।

3 . असहिष्णुता का कारण-निवारण बताएँ।

उत्तर-परस्पर द्वेष की भावना असहिष्णुता को जन्म देती है। इससे आपसी वैर उत्पन्न होती है। स्वार्थ वैर को बढ़ाता है और असहिष्णुता का विकृत रूप प्रकट होता है। इसके निवारण का एकमात्र उपाय स्वार्थ का त्याग और परमार्थ या परोपकार की भावना का विकास है।

4. महात्मा बुद्ध के अनुसार वैर की शांति कैसे संभव है?

उत्तर- महात्मा बुद्ध के अनुसार वैर की शांति निवैर, करुणा व मैत्री भाव से ही संभव हो सकती है।

5. ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की अवधारणा क्यों आवश्यक है?

उत्तर- वर्तमान विश्व में अशान्ति का वातावरण है। यह सार्वभौमिक समस्या और दुःख का कारण है। इस अशांति का मूल कारण स्वार्थ प्रेरित अहं की भावना है। इसका निराकरण परोपकार की भावना, निर्वैर, करूणा व मैत्री भाव से ही संभव है और यह तभी संभव है जब सम्पूर्ण वसुधा को ही कुटुम्ब का परिवार समझा जाय । अतः वर्त्तमान में ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की अवधारणा अत्यन्त आवश्यक है।

6. विश्व अशान्ति का क्या कारण है ? तीन वाक्यों में उत्तर दें।

उत्तर वास्तव में अशांति के दो मूल कारण हैं-द्वेष और असहिष्णुता । एक देश दूसरे देश की उन्नति देख जलते हैं, और इससे असहिष्णुता पैदा होती है। ये दोनों दोष आपसी वैर और अशांति के मूल कारण हैं।

7. ‘विश्वशान्तिः’ पाठ के आधार पर उदार हृदय पुरुष का लक्षण बतावें।

उत्तर – ‘विश्वशान्तिः’ पाठ के अनुसार उदार हृदय पुरुष का लक्षण है कि वह किसी को पराया नहीं समझता, वरण उसके लिए सारी धरती ही अपनी है।

8. ‘विश्वशान्तिः’ पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
अथवा, ‘विश्वशान्तिः’ पाठ का मुख्य उद्देश्य क्या है ?

उत्तर- विश्वशान्तिः शब्द का शाब्दिक अर्थ विश्व की शान्ति है। आज सर्वत्र ईर्ष्या, द्वेष, असहिष्णुता, अविश्वास, असंतोष आदि जैसे दुर्गुण विद्यमान हैं। ये दुर्गुण जहाँ विद्यमान हों वहाँ की शान्ति की कल्पना कैसे की जा सकती है? शान्ति भारतीय दर्शन का मूल तत्व है। यह शान्ति धर्ममूलक है। धर्मों रक्षति रक्षितः ऐसा प्राचीन संदेश विश्व का अस्तित्व और रक्षा के लिए ही प्रेरितहै। इस पाठ का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति, समाज और राष्ट्रों को आपसी द्वेष, असंतोष आदि से दूर कर शान्ति, सहिष्णुता आदि का पाठ पढ़ाना है।

9. वर्तमान में विश्व की स्थिति का वर्णन करें।

उत्तर-आज संसार के प्रायः सभी देशों में अशान्ति व्याप्त है। किसी देश में अपनी आन्तरिक समस्याओं के कारण कलह है तो कहीं बाहरी। एक देश के कलह से दूसरे देश खुश होते हैं। कहीं अनेक राज्यों में परस्पर शीत युद्ध चल रहा है। वस्तुतः इस समय संसार अशान्ति के सागर में डूबता उतराता नजरा आ रहा है। आज विश्व विनाशक शस्त्रास्त्रों के ढेर पर बैठा है।

10. संसार में अशांति कैसे नष्ट हो सकती है?

उत्तर-अशांति के मूल कारण हैं-द्वेष और असहिष्णुता । स्वार्थ से यह अशांति बढ़ती है। इस अशांति को वैर से नहीं रोका जा सकता । करुणा और मित्रता से ही वैर नष्ट कर संसार में शांति लाई जा सकती है।

11. विश्व में शांति कैसे स्थापित हो सकती है ?

उत्तर-विश्व में शांति का आधार एकमात्र परोपकार है। परोपकार की भावना मानवीय गुण है। संकटकाल में सहयोग की भावना रखना ही लक्ष्य हो तभी हम निर्वैर, सहिष्णुता और परोपकार से शांति स्थापित कर सकते हैं।

12. ‘विश्वशांति’ पाठ के आधार पर भारतीय दर्शन का मूल तत्त्व बतलाएँ ।

उत्तर – भारतीय दर्शन का मूल तत्त्व शांति है। इसमें संदेह नहीं, क्योंकि धर्म का आधार भी शांति ही है। इसी भाव से विश्व की रक्षा तथा कल्याण संभव है, इसलिए हमें जन जागरण द्वारा सहिष्णुता, परोपकार और निर्वैर के महत्त्व पर प्रकाश डालना चाहिए ।

13. विश्वशान्तिः पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।

उत्तर आज विश्वभर में विभिन्न प्रकार के विवाद छिड़े हुए हैं। देशों में आंतरिक और बाह्य अशांति फैली हुई है। सीमा, नदी-जल, धर्म, दल इत्यादि को लेकर लोग स्वार्थप्रेरित होकर असहिष्णु हो गये हैं। इससे अशांति का वातावरण बना हुआ है। इस समस्या को उठाकर इसके निवारण के लिए इस पाठ में वर्त्तमान स्थिति का निरूपण किया गया है।

14 विश्वशांति के लिए हमें क्या करना चाहिए ?

उत्तर – केवल उपदेश से विश्व शांति नहीं होगी। हमें उपदेशों के अनुसार आचरण करना होगा। हमलोग जानते हैं कि क्रिया के बिना, अर्थात व्यवहार के बिना, ज्ञान भार स्वरूप है। वैर कभी भी वैर से । शांत नहीं होता। हमें निर्वैर, दया, परोपकार, सहिष्णुता और मित्रता का भाव दूसरों के प्रति रखनी होगी, तभी विश्वशांति हो सकती है।

10th Subjective Question Sanskrit

बिहार बोर्ड 10वीं बोर्ड परीक्षा संस्कृत दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ।

1. मङ्गलम् पाठ के आधार पर सत्य की महत्ता पर प्रकाश डालें ।।

उत्तर- सत्य की महत्ता का वर्णन करते हुए महर्षि वेदव्यास कहते हैं कि हमेशा सत्य की ही जीत होती है। मिथ्या कदापि नहीं जीतता । सत्य से ही देवलोक का रास्ता प्रशस्त है। मोक्ष प्राप्त करने वाले ऋषि लोग सत्य को प्राप्त करने के लिए ही देवलोक जाते हैं, क्योंकि देवलोक सत्य का खजाना है।

2. महान लोग संसाररूपी सागर को कैसे पार करते हैं ?

उत्तर- श्वेताश्वतर उपनिषद् में ज्ञानी लोग और अज्ञानी लोग में अंतर स्पष्ट करते हुए महर्षि वेदव्यास कहते हैं कि अज्ञानी लोग अंधकारस्वरूप और ज्ञानी प्रकाशस्वरूप हैं। महान लोग इसे समझकर मृत्यु को पार कर जाते हैं, क्योंकि संसाररूपी सागर को पार करने का इससे बढ़कर अन्य कोई रास्ता नहीं है।

3. सत्य का मुँह किस पात्र से बँका है?

उत्तर-सत्य का मुँह, स्वर्णमय पात्र से ढँका हुआ है।

4. नदियाँ क्या छोड़कर समुद्र में मिलती हैं?

उत्तर-नदियाँ नाम और रूप को छोड़कर समुद्र में मिलती हैं।

5. मङ्गलम् पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।

उत्तर इस पाठ में चार मन्त्र क्रमशः ईशावास्य, कठ, मुण्डक तथा श्वेताश्वतर नामक उपनिषदों में विशुद्ध आध्यात्मिक ग्रन्थों के रूप में उपनिषदों का महत्त्व है। इन्हें पढ़ने से परम सत्ता के प्रति श्रद्धा उत्पन्न होती है, सत्य के अन्वेषण की प्रवृत्ति होती है तथा आध्यात्मिक खोज की उत्सुकता होती है। उपनिषद्ग्रन्थ विभिन्न वेदों से सम्बद्ध, हैं।

6 . मङ्गलम् पाठ के आधार पर आत्मा की विशेषताएँ बतलाएँ ।

उत्तर – मङ्गलम् पाठ में संकलित कठोपनिषद् से लिए गए मंत्र में महर्षि वेदव्यास कहते हैं कि प्राणियों की आत्मा हृदयरूपी गुफा में बंद है। यह सूक्ष्म से सूक्ष्म और महान-से-महान है। इस आत्मा को वश में नहीं किया जा सकता है। विद्वान लोग शोक-रहित होकर परमात्मा अर्थात् ईश्वर का दर्शन करते हैं।

7 . आत्मा का स्वरूप क्या है? पठित पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।

उत्तर। -कठोपनिषद में आत्मा के स्वरूप का बड़ा ही अपूर्व विश्लेषण किया गया है। आत्मा मनुष्य की हृदय रूपी गुफा में अवस्थित है। यह अणु से भी सूक्ष्म है। यह महान् से भी महान् है। इसका रहस्य समझने वाला सत्य का अन्वेषण करता है। वह शोकरहित होता है।

8. विद्वान पुरुष ब्रह्म को किस प्रकार प्राप्त करता है ?

उत्तर- मुण्डकोपनिषद् में महर्षि वेद व्यास का कहना है कि जिस प्रकार बहती हुई नदियाँ अपने नाम और रूप, अर्थात् व्यक्तित्व को त्यागकर समुद्र में मिल जाती हैं उसी प्रकार महान पुरुष अपने नाम और रूप, अर्थात् अहम् को त्यागकर ब्रह्म को प्राप्त कर लेता है।

9. उपनिषद् को आध्यात्मिक ग्रंथ क्यों कहा गया है ?

उत्तर- उपनिषद् एक आध्यात्मिक ग्रंथ है, क्योंकि यह आत्मा और परमात्मा के संबंध के बारे में विस्तृत व्याख्या करता है। परमात्मा संपूर्ण संसार में शांति स्थापित करते हैं। सभी तपस्वियों का परम लक्ष्य परमात्मा को प्राप्त करना ही है।

10. उपनिषद् का क्या स्वरूप है ? पठित पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।

उत्तर – उपनिषद् वैदिक वाङ्मय का अभिन्न अंग है। इसमें दर्शनशास्त्र के सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया गया है। सर्वत्र परमपुरुष परमात्मा का गुणगान किया गया है। परमात्मा के द्वारा ही यह संसार व्याप्त और अनुशंसित है। सत्य की पराकाष्ठा ही ईश्वर का मूर्तरूप है। ईश्वर ही सभी तपस्याओं का परम लक्ष्य है।

11 हमारी मातृभूमि कैसी है?

उत्तर-भारतवर्ष अति प्रसिद्ध देश है तथा यहाँ की भूमि सदैव पवित्र और ममतामयी है। यहाँ विभिन्न जातियों और धर्मों के लोग एकता भाव को धारण करते हुए निवास करते हैं।

12. सभी जनों की देशभक्ति कैसी होनी चाहिए?

उत्तर -सभी जनों की देशभक्ति आकर्षक और दूसरों के लिए आदर्श रूप होनी चाहिए जिससे दूसरे लोग उनसे प्रेरणा ले सके। सबों को मन-वचन-कर्म से निष्ठापूर्वक देश की सेवा करनी चाहिए।

13. ‘भारतमहिमा’ पाठ के आधार पर भारतीय मूल्यों की विशेषता पर प्रकाश डालें।

उत्तर- भारत भूमि स्वर्ग तुल्य है, जहाँ देवगण भी जन्म लेना पुण्य मानते हैं। विविधता में एकता भारतीय मूल्यों की प्रमुख विशेषता है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक समदर्शिता का भाव है। यहाँ के निवासी धर्म-जाति के भेदों को भुलाकर एकत्व भाव गाव में रहते हैं। विविध पर्व-त्योहार हमें एक सूत्र में पिरोते हैं। अतिथि सत्कार व वसुधा को ही परिवार मानना इसका आदर्श है।

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