10th Sanskrit Important Subjective Question : यदि आप 10वीं कक्षा में पढ़ाई कर रहे हैं तो आज के इस आर्टिकल में बिहार बोर्ड 10वीं कक्षा संस्कृत विषय का सभी महत्वपूर्ण सब्जेक्टिव कोई आर्टिकल में बताया गया है जो आप सभी के लिए काफी उपयोगी साबित हो सकती है यदि आप इस आर्टिकल के नीचे दिए गए दसवीं संस्कृत का सभी सब्जेक्टिव को पढ़कर तैयारी करते हैं तो आप संस्कृत में बेहतर अंक प्राप्त कर सकते हैं इससे पहले दसवीं संस्कृत का 3 पाठ तक अपलोड कर दिया गया है 10वीं संस्कृत विषय का पाठ 4 होगा।
10th Sanskrit Important Subjective Question
1. बाघ के द्वारा पकड़ लिए जाने पर पथिक अपने मन में क्या सोचता है?
उत्तर – बाघ के द्वारा पकड़ लिए जाने पर पथिक मन में सोचता है कि लोभ में नहीं पड़ना चाहिए।
2. “ज्ञानं भारः क्रियां बिना” यह उक्ति व्याघ्न पथिक कथा पर कैसे चरितार्थ होती है?
उत्तर – पथिक ज्ञानी विप्र होते हुए भी लोभवश अविश्वासी पर विश्वास कर सिंह के वाग्जाल में फँसकर अपनी जान गँवा बैठा, यदि वह अपने प्राप्त ज्ञान का सदुपयोग किया होता तो उसे अपनी जान गँवानी नहीं पड़ती। इस प्रकार यह उक्ति ‘ज्ञानं भारः क्रियां विना’ व्याघ्रपथिककथा के पात्र पथिक पर सत्य चरितार्थ होती है।
3. ‘व्याघ्रपथिककथा’ के आधार पर बतायें कि दान किसको देना चाहिए?
उत्तर – दान गरीबों को देना चाहिए। जो उपकार नहीं किया है उसे दान देना चाहिए। स्थान, समय और पात्र को ध्यान में रखकर दान देना चाहिए।
4. सात्विक दान क्या है? पठित पाठ के आधार पर उत्तर दें।
उत्तर – देशकाल, स्थान एवं पात्र को ध्यान में रखकर दिया गया दान सात्विक होता है। बूढ़ा बाघ पथिक को फँसाने के लिए हितोपदेश सुनाता है। पथिक को दान लेने के लिए योग्य पात्र मानता है।
5. ‘व्याघ्घ्रपथिककथा’ कहाँ से लिया गया है? इसके लेखक कौन हैं तथा इससे क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर – ‘व्याघ्रपथिककथा’ हितोपदेश ग्रंथ के मित्रलाभ खण्ड से ली गई है। इसके लेखक ‘नारायण पंडित’ हैं। इस कथा के द्वारा नारायणपंडित हमें यह शिक्षा देते हैं कि दुष्टों की बातों पर लोभ में आकर विश्वास नहीं करना चाहिए । सोच-समझकर ही काम करना चाहिए। इस कथा का उद्देश्य मनोरंजन के साथ व्यावहारिक ज्ञान देना है। यह रुचिकर रूप में ज्ञान देती है।
6. व्याघ्रपथिककथा’ को संक्षेप में अपने शब्दों में लिखिए ।
अथवा, व्याघ्रपथिककथा के लेखक कौन हैं? इस पाठ से क्या शिक्षा ‘मिलती है? पाँच वाक्यों में उत्तर दें।
अथवा, व्याघ्रपथिककथा से क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर – यह कथा नारायण पण्डित विरचित हितोपदेश के नीतिकथाग्रन्थ के मित्रलाभखण्ड से ली गयी है। इस कथा में एक पथिक बूढ़ा व्याघ्र द्वारा दिये गये प्रलोभन में पड़ जाता है । बूढ़ा व्याघ्र हाथ में स्वर्णकगन लेकर पथिक को अपनी ओर आकृष्ट करता है। पथिक निर्धन होने के बावजूद व्याघ्र पर विश्वास नहीं करता। तब व्याघ्र द्वारा सटीक तर्क दिये जाने पर पथिक संतुष्ट होकर कंगन ले लेना उचित समझता है। स्नान कर कंगन ग्रहण करने की बात स्वीकार कर पथिक महाकीचड़ में गिर जाता है और बूढ़े व्याघ्र द्वारा मारा जाता है। इस कथा में संदेश और शिक्षा यही है कि नरभक्षी प्राणियों पर कभी विश्वास नहीं करना चाहिए और अपनी किसी भी समस्या का समाधान ऐसे व्यक्ति द्वारा नजर आये तब भी उसके लोभ में नहीं फँसना चाहिए धार्मिक व्यक्ति ने वृद्ध बाघ को क्या उपदेश दिया ?
- वृद्ध बाघ अतिदुराचारी था। युवावस्था में अनेक गायों और मनुष्यों के वध करने के पाप के कारण वह निःसंतान और पत्नीविहीन हो गया था। तब एक धार्मिक व्यक्ति ने पापमुक्त होने के लिए बाघ को उपदेश दिया कि आप दान-पुण्य करें।
7. नारायण पंडित रचित व्याघ्रपधिककथा पाठ का मूल उद्देश्य क्या है.?
उत्तर – व्याघ्रपथिककथा का मूल उद्देश्य यह है कि हिंसक जीव अपने स्वभाव को नहीं छोड़ सकता। इस कथा के द्वारा नारायण पंडित हमें यह शिक्षा देते हैं कि दुष्टों की बातों पर लोभ में आकर विश्वास नहीं करना चाहिए । सोच-समझकर ही काम करना चाहिए। इस कथा का उद्देश्य मनोरंजन के साथ व्यावहारिक ज्ञान देना है।
8. पथिक वृद्ध बाघ की बातों में क्यों आ गया ?
- उत्तर- पथिक ने सोने के कंगन की बात सुनकर सोचा कि ऐसा भाग्य से ही मिल सकता है, किन्तु जिस कार्य में खतरा हो उसे नहीं करना चाहिए। फिर लोभवश उसने सोचा कि धन कमाने के कार्य में खतरा तो होता ही है। इस तरह वह लोभ से वशीभूत होकर बाघ की बातों में आ गया।
9. व्याघ्रपथिककथा पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।
- उत्तर- यह कथा नारायण पंडित रचित प्रसिद्ध नीतिकथाग्रन्थ ‘हितोपदेश’ के प्रथम भाग ‘मित्रलाभ’ से संकलित है। इस कंथा में लोभाविष्ट व्यक्ति की दुर्दशा का निरूपण है। आज के समाज में छल-छद्म का वातावरण विद्यमान है जहाँ अल्प वस्तु के लोभ से आकृष्ट होकर लोग अपने प्राण और सम्मान से वंचित हो जाते हैं। एक बाघ की चला में फँसकर एक लोभी पथिक उसके द्वारा मारा गया। 11. बूढ़ा बाघ ने पथिकों को फँसाने के लिए किस तरह का भेष रचाया ? उत्तर- बूढ़ा बाघ ने पथिकों को फँसाने के लिए एक धार्मिक का भेष रचाया । उसने स्नान कर और हाथ में कुश लेकर तालाब के किनारे पथिकों से बात कर उन्हें दानस्वरूप सोने का कंगन पाने का लालच दिया ।
10. बूढ़ा बाघ पथिक को पकड़ने में कैसे सफल हुआ था ?
अथवा, बूढ़ा बाघ ने पथिक को पकड़ने के लिए क्या चाल चली ?
उत्तर- बूढ़ा बाघ ने एक धार्मिक का भेष रचकर तालाब के किनारे पथिकों को सोने का कंगन लेने के लिए कहा। उस तालाब में अधिकाधिक कीचड़ था। एक लोभी पथिक उसकी बातों में आ गया। बाघ ने लोभी पथिक को स्वर्ण कंगन लेने से पहले तालाब में स्नान करने के लिए कहा। उस बाघ की बात पर विश्वास कर जब पथिक तालाब में घुसा, वह अधिकाधिक कीचड़ में धँस गया और बाघ ने उसे पकड़ लिया ।
11 संस्कृत साहित्य के संवर्धन में महिलाओं के योगदान का वर्णन करें।
Class 10th Sanskrit Subjective Question : उत्तर -वैदिक काल से महिलाओं ने संस्कृत साहित्य की रचना एवं संरक्षण में काफी योगदान दिया है। ऋग्वेद में चौबीस और अथर्ववेद में पाँच महिलाओं का योगदान है। यमी, अपाला, उर्वशी, इन्द्राणी और वागाम्भृणी मंत्रों की दर्शिकाएँ थीं। गङ्गादेवी, तिरुमलाम्बा, शीलाभट्टारिका, देवकुमारिका आदि दक्षिण की महिलाओं ने भी साहित्य की रचना में योगदान दिया है। पंडिता क्षमाराव, पुष्पादीक्षित, वनमाला मवालकर आदि जैसी अनेक आधुनिक महिलाओं ने भी अपना योगदान दिया है। इस प्रकार, भारत में हमेशा संस्कृतसाहित्य में महिलाओं का योगदान रहा है।
12 . विजयनगर राज्य में संस्कृत भाषा की क्या स्थिति थी ? तीन वाक्यों मेंउत्तर दें।
उत्तर- विजयनगर में सम्राट् संस्कृत भाषा के संरक्षण के लिए किए गए प्रयास सर्वविदित है। उनके अन्तःपुर में भी संस्कृत रचना में निष्णात रानियाँ थीं। महारानी विजयभट्टारिका ने ‘विजयाङ्का’ की रचना की।
13. ‘संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः’ पाठ से हमें क्या संदेश मिलता है ?
उत्तर -इस पाठ के द्वारा संस्कृत साहित्य के विकास में महिलाओं के योगदान के बारे में ज्ञात होता है। वैदिक युग से आधुनिक समय तक ऋषिकाएँ, कवयित्री, लेखिकाएँ संस्कृतसाहित्य के संवर्धन में अतुलनीय सहभागिता प्रदान करती रही हैं। संस्कृत लेखिकाओं की सुदीर्घ परम्परा है। संस्कृत भाषा के उन्नयन एवं पल्लवन में पुरुषों के समतुल्य महिलाएँ भी चलती रही हैं।
14. ‘संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः पाठ में लेखक ने क्या विचार व्यक्त किए हैं ?
उत्तर – ‘संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः’ पाठ में लेखक का विचार है कि प्राचीन काल से लेकर आज तक महिलाओं ने संस्कृत साहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। दक्षिण भारत की महान साहित्यकार महिलाओं ने भी संस्कृत साहित्य को समृद्ध बनाया।
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