बिहार बोर्ड 10वीं इतिहास सब्जेक्टिव : Bihar Board 10th History Subjective Question

Bihar Board 10th History Subjective Question : बिहार विद्यालय परीक्षा समिति से जो भी विद्यार्थी वर्ष 2024 में 10वीं वार्षिक परीक्षा में सम्मिलित होने वाले हैं तो आज के इस आर्टिकल में इन सभी विद्यार्थियों के लिए दसवीं इतिहास का महत्वपूर्ण सब्जेक्टिव क्वेश्चन इस आर्टिकल में बताया गया है जो आप सभी विद्यार्थियों के लिए काफी इंपोर्टेंट होने वाली है यदि आप भी बिहार बोर्ड से 2025 में 10वीं की वार्षिक परीक्षा में सम्मिलित होने वाले हैं तो इस आर्टिकल में दसवीं का महत्वपूर्ण इतिहास का सब्जेक्टिव क्वेश्चन बताया गया है इस आर्टिकल से पहले दसवीं इतिहास का और भी सब्जेक्टिव क्वेश्चन इस आर्टिकल में लिखा गया है इस आर्टिकल में बताए गए 10वीं इतिहास का सब्जेक्टिव प्रश्न पढ़ने के बाद आप और भी सब्जेक्टिव क्वेश्चन को इस वेबसाइट के होम पेज पर जाकर शिक्षा वाले कैटेगरी में क्लिक करके पढ़ सकते हैं।

Bihar Board 10th History Subjective Question

प्रश्न 1. छापाखाना यूरोप में कैसे पहुँचा ?

उत्तर छापाखाना के आविष्कार का महत्त्व इस भौतिक संसार में आग, पहिय और लिपि की तरह है जिसने अपनी उपस्थिति से पूरे विश्व की जीवनशैली को एक नया आयाम प्रदान किया। मुद्रणकला के आविष्कार और विकास का श्रेय चीन को जाता है। यद्यपि मूवेबल टाइपों द्वारा मुद्रणकला का आविष्कार तो पूरब में ही हुआ परन्तु इस कला का विकास यूरोप में अधिक हुआ। इसका प्रमुख कारण था कि चीनी, जापानी और कोरियन भाषा में 40 हजार से अधिक वर्णाक्षर थे। फलतः सभी वर्णों का ब्लॉक बनाकर उपयोग करना कठिन कार्य था। लकड़ी के ब्लॉक द्वारा होनेवाले मुद्रण का समरकन्द-पर्शिया-सीरिया मार्ग से (रेशममार्ग) व्यापारियों द्वारा यूरोप, सर्वप्रथम रोम में प्रविष्टि हुई। 13वीं सदी के अंतिम में रोमन मिशनरी एवं मार्कोपोलो द्वारा ब्लॉक प्रिंटिंग के नमूने यूरोप पहुँचे ।

प्रश्न 2. पाण्डुलिपि क्या है ? इसकी क्या उपयोगिता है ?

उत्तर भारत में छापाखाना के विकास के पहले हाथ से लिखकर पाण्डुलिपियों को तैयार करने की पुरानी एवं समृद्ध परम्परा थी। वैसी हस्तलिखित साहित्य सामग्री जो पुस्तक के रूप में छपकर लोगों के बीच न आई हो, पाण्डुलिपि कहलाती है। भारत में संस्कृति, अरबी एवं फारसी साहित्य की अनेकानेक तस्वीरयुक्त सुलेखन कला से परिपूर्ण साहित्यों की रचनाएँ होती रहती थीं। इन्हें मजबूती प्रदान करने के लिए सजिल्द भी किया जाता था। फिर भी पाण्डुलिपियाँ काफी नाजुक और महँगी होती थी। पाण्डुलिपियों की लिखावट कठिन होने एवं प्रचुरता से उपलब्ध नहीं होने के कारण ये आम जनता की पहुँच के बाहर थीं ।

प्रश्न 3. भारतीय प्रेस के विकास में ईसाई धर्म प्रचारकों के योगदान का मूल्यांकन करें।

उत्तर भारत में मुद्रण का आरंभ गोवा में 16वीं शताब्दी में जेसुइट धर्मप्रचारकों द्वारा किया गया। 19वीं शताब्दी तक भारतीय प्रेस ने गति पकड़ ली। प्रेस ज्वलंत राजनीतिक एवं सामाजिक प्रश्नों को उठानेवाला तथा औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध सशक्त जनमानस तैयार करनेवाला प्रभावशाली माध्यम बन गया।

प्रश्न 4. गुटेनबर्ग ने मुद्रण यंत्र का विकास कैसे किया ?

उत्तर- गुटेनबर्ग का जन्म जर्मनी के मेन्जनगर में कृषक जमींदार-परिवार में – जन्म हुआ था। गुटेनबर्ग ने अपने ज्ञान एवं अनुभव से टुकड़ों में बिखरी मुद्रण कला – के ऐतिहासिक शोध को संघटित एवं एकत्रित किया तथा टाइपों के लिए पंच, – मोल्ड आदि बनाने पर योजनाबद्ध तरीके से कार्यारंभ किया। मुद्रा बनाने हेतु उसने सीसा, टिन (राँगा) और बिस्मथ धातुओं से उचित मिश्रधातु बनाने का तरीका ढूँढ़ मेट्रिक्स निकाला । गुटेनबर्ग ने आवश्यकता के अनुसार मुद्रण स्याही भी बनायी तथा हैण्डप्रेस का प्रथम बार मुद्रण-कार्य सम्पन्न करने में प्रयोग किया। इस प्रकार एक सुस्पष्ट, रास्ता एवं शीघ्र कार्य करनेवाला गुटेनबर्ग का ऐतिहासिक मुद्रण प्रकार 1440 ई० में शुरू हुआ ।

प्रश्न 5. लॉर्ड लिटन ने राष्ट्रीय आंदोलन को गतिमान बनाया। कैसे ?

उत्तर-देशी भाषा समाचार पत्र अधिनियम वर्नाक्यूलर प्रेस ऐक्ट 1878 ई० में लॉर्ड लिटन के द्वारा लाया गया। देशी समाचार-पत्रों ने खुलकर साम्राज्यवादी नीतियो के विरुद्ध राष्ट्रवादी भावना को उत्पन्न किया। इसी को ध्यान में रखते हुए 1878 ई० में लिटन ने देशी भाषा समाचार-पत्र अधिनियम के माध्यम से समाचार पत्रों पर अधिक प्रतिबंध तथा इसे अपने नियंत्रण में लाने का प्रयास किया।

यह अधिनियम देशी भाषा समाचार पत्रों के लिए मुँह बन्द करने वाला एवं भेदभावपूर्ण साबित हुआ । लिटन नहीं चाहता था कि सरकार की नीतियों के खिलाफ देशी समाचार-पत्र जनता के बीच असंतोष को उत्त्पन्न करें। लेकिन, अकाल और सरकारी अपव्यय की खबरों ने जनता के बीच भारी असंतोष को जन्म दिया । लॉर्ड लिटन के वर्नाक्यूलर प्रेस ऐक्ट ने राष्ट्रीयता की भावना एवं जन-असंतोष में तो उबाल लाने का कार्य किया ही, साथ-ही-साथ राष्ट्रीय आंदोलन को भी गतिमान बनाया ।

प्रश्न 6. स्वतंत्र भारत में प्रेस की भूमिका पर प्रकाश डालें ।

उत्तर- स्वतंत्र भारत में प्रेस की प्रभावशाली भूमिका रही है। यह राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्धों के विकास में प्रभावशाली भूमिका निभा रहा है। यह अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक, क्षेत्रीय घटनाओं, सरकारी नीतियों, खेल-कूद, मनोरंजन की सूचना देनेवाला प्रमुख माध्यम है। यह सरकार पर प्रभावशाली नियंत्रण रखता है तथा लोकतंत्र के ‘चौथे स्तम्भ’ के रूप में कार्य करता है।

प्रश्न 7. इक्वीजीशन से आप क्या समझते हैं ? इसकी जरूरत क्यों पड़ी ?

उत्तर-छापाखाना के आविष्कार से बौद्धिक माहौल का निर्माण हुआ एवं धर्म सुधार आन्दोलन के नए विचारों का फैलाव बड़ी तेजी से आम लोगों तक हुआ । अब अपेक्षाकृत कम पढ़े-लिखे लोग धर्म की अलग-अलग व्याख्याओं से परिचित हुए। कृषक से लेकर बुद्धिजीवी तक बाइबिल की नई-नई व्याख्या करने लगे। ईश्वर एवं सृष्टि के बारे में रोमन कैथोलिक चर्च की मान्यताओं के विपरीत विचार आने से कैथोलिक चर्च क्रुद्ध हो गया और तथाकथित धर्म-विरोधी विचारों को दबाने के लिए इक्वीजीशन शुरू किया जिसके माध्यम से विरोधी विचारधारा के प्रकाशकों और पुस्तक-विक्रेताओं पर प्रतिबंध लगाया गया।

प्रश्न 8. वार्नाक्यूलर प्रेस ऐक्ट किसे कहते हैं ?

उत्तर-1878 ई० में लॉर्ड लिटन ने वर्नाक्यूलर प्रेस ऐक्ट पारित किया था। उसने 1878 के देशी भाषा समाचार-पत्र अधिनियम के माध्यम से समाचार-पत्रों को अधिक नियंत्रण में लाने का प्रयास किया।

प्रश्न 8. आर्थिक संकट से आप क्या समझते हैं ? जब उसके तीनों आधार कृषि,

उत्तर – अर्थव्यवस्था में आनेवाली वैसी स्थिति उद्योग और व्यापार का विकास अवरुद्ध हो जाए, लाखों लोग बेरोजगार हो जाएँ और कंपनी का दिवाला निकल जाए तथा वस्तु और मुद्रा दोनों की बाजार में कोई कीमत न रहे। इसे ही हम आर्थिक संकट कहेंगे।

प्रश्न 9. भूमंडलीकरण किसे कहते हैं ?

उत्तर -भूमंडलीकरण राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक जीवन के विश्वव्यापी समायोजन की एक प्रक्रिया है जो विश्व के विभिन्न भागों के लोगों को भौतिक व मनोवैज्ञानिक स्तर पर एकीकृत करने का सफल प्रयास करती है।

प्रश्न 10. बहुराष्ट्रीय कंपनी क्या है?

उत्तर- कई एक ही साथ व्यापार और व्यवसाय करनेवाली कंपनियों को बहुराष्ट्रीय कंपनी कहा जाता है। ये बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ पूँजीवादी देशों की बड़ी-बड़ी व्यापारिक और औद्योगिक कंपनियाँ हैं।

प्रश्न 11. महान आर्थिक मंदी से आप क्या समझते हैं?

उत्तर- महान् आर्थिक मंदी 1929 ई० में हुआ। इसका प्रमुख कारण था-अति उत्पादन। प्रथम विश्वयुद्ध के समय कृषि तथा औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि की गई। युद्धोपरांत खरीददारों की सवंख्या कम हो गई। इससे कृषकों एवं उद्योपतियों दोनों की स्थिति खराब हो गई।

प्रश्न 12. ब्रिटेन वुड्स सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य क्या था ?

उत्तर- ब्रिटेन वुड्स सम्मेलन जुलाई 1944 ई. में अमेरिका के न्यू हैम्पशायर नामक स्थान पर हुआ जिसका मुख्य उद्देश्य औद्योगिक विश्व में आर्थिक स्थिरता एवं पूर्ण रोजगार था, क्योंकि इसी आधार पर विश्वशांति स्थापित की जा सकती थी।

प्रश्न 13. 1950 के बाद विश्व अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण के लिए किए जाने वाले प्रयासों का वर्णन करें।

उत्तर-1950 से 1960 के दशक में महत्त्वपूर्ण आर्थिक संबंधों का विकास लिए समन्वय और हुआ था। विश्व में साम्यवादी विचार के प्रसार को रोकने के सहयोग के. एक नवीन युग की शुरुआत की गई जिसे यूरोप के एकीकरण के नाम से हम जानते हैं। इस दिशा में पहला प्रयास 1945 के पहले फ्रांस के विदेश मंत्री ब्रियां के यूरोपीय संघ के विचार के रूप में हम देखते हैं। लेकिन, वास्तविक रूप से इसकी शुरुआत 1944 में उभरकर सामने आई जब नीदरलैण्ड, बेल्जियम और लग्जेमबर्ग ने ‘बेनेलेक्स’ नामक संघ बनाया। इसी प्रकार 1948 में ब्रसेल्स संधि हुई जिसने यूरोपीय आर्थिक सहयोग की प्रक्रिया कोयला एवं इस्पात के माध्यम से शुरू की। इन प्रयासों के बीच पहला बड़ा कदम 1957 में उठाया गया। उस साल यूरोपीय आर्थिक समुदाय, यूरोपीय इकोनॉमिक कम्युनिष्ट (ई०ई०सी०) की स्थापना की गई। इसमें फ्रांस, प० जर्मनी, बेल्जियम, हॉलैण्ड, लग्जेमबर्ग और इटली शामिल हुए। इन देशों ने एक साझा बाजार स्थापित किया।

प्रश्न 14. वैश्वीकरण से आप क्या समझते हैं?

उत्तर – साधारण भाषा में वैश्वीकरण का अर्थ है अपनी अर्थव्यवस्था और विश्व अर्थव्यवस्था में सामंजस्य स्थापित करना। इसके अन्तर्गत हम अपने देश से निर्मित माल और सेवाएँ दूसरे देशों में बेच सकते हैं। इस प्रकार, वैश्वीकरण के कारण विश्व के विभिन्न देश अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर एक-दूसरे पर परस्पर रूप में निर्भर रहते हैं।

प्रश्न 15. विश्व बाजार की उपयोगिता या महत्त्व की चर्चा करें।

उत्तर – 10th History Subjective Question : आर्थिक गतिविधियों को स्वतंत्र रूप से संचालित होने को सुनिश्चित करने के लिए बाजार के स्वरूप का विश्वव्यापी होना आवश्यक होता है। व्यापारियों, श्रमिकों, पूँजीपतियों, आम मध्यम वर्ग तथा आम उपभोक्ताओं के हितों को बाजार का विश्वव्यापी स्वरूप सुरक्षित रखता है। किसानों को अपनी उपज की अच्छी कीमत प्राप्त होती है” क्योंकि बाजार ज्यादा प्रतिस्पर्धी होता है। कुशल श्रमिकों को विश्व स्तर पर पहचान तथा महत्त्व और आर्थिक लाभ इसी वैश्विक बाजार में प्राप्त होता है। रोजगार के नये अवसर विश्व बाजार में सृजित होते हैं। आधुनिक विचार और चेतना के प्रसार में भी इसका बड़ा महत्त्व होता है।

प्रश्न 16. भारत के सूती वस्त्र उद्योग में गिरावट के क्या कारण थे ?

उत्तर – 18वीं शताब्दी तक भारतीय सूती कपड़े की माँग सारे विश्व में थी, परंतु 19वीं शताब्दी के आते-आते अनेक कारणों से इसमें गिरावट चली आई जो निम्नलिखित थे-

  • (1) भारतीय सूती कपड़े के उद्योग की गिरावट का सबसे मुख्य कारण इंगलैंड की औद्योगिक क्रांति थी जिसके कारण अब उसने भारत से सूती कपड़े का आयात बन्द कर दिया था।
  • (ii) औपनिवेशिक सरकार भारतीय बाजारों में ब्रिटिश-निर्मित सूती वस्त्रों की भरमार कर दी जो भारतीय वस्त्र के मुकाबले काफी सस्ते होते थे ।
  • (iii) अंग्रेजी कम्पनी काफी कम कीमत में भारतीय कपास या रूई
  • खरीदकर इंगलैंड भेज देती थी जिससे भारतीय निर्माताओं को अच्छी कपास मिलना मुश्किल हो गया ।
  • (iv) इसके अलावा भारतीय सूती कपड़े के निर्यात पर काफी कर लगा दिए गए तथा ब्रिटिश-निर्मित कपड़े को काफी कम कर पर या निःशुल्क भारत आने दिया गया ।
  • ऐसे में भारतीय सूती वस्त्र उद्योग में लगातार गिरावट आती चली गयी ।

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