10th History Subjective Question : बिहार बोर्ड कक्षा दसवीं के विद्यार्थियों के लिए इस आर्टिकल में इतिहास का महत्वपूर्ण सब्जेक्टिव क्वेश्चन को बताया गया है जो बिहार बोर्ड 10वीं परीक्षा के लिए काफी महत्वपूर्ण हो सकती है आप परीक्षा से पहले इस आर्टिकल में दिए गए इतिहास के महत्वपूर्ण सब्जेक्टिव क्वेश्चन को जरूर पढ़ सकते हैं।
प्रश्न 1. विश्व बाजार किसे कहते हैं ?
उत्तर- उस तरह के बाजारों को हम विश्व बाजार कहेंगे जहाँ विश्व के सभी देशों की वस्तुएँ आमलोगों को खरीदने के लिए उपलब्ध हों। जैसे-भारत की आर्थिक राजधानी ‘मुम्बई’।
10th History Subjective Question
प्रश्न 2. भूमंडलीकरण के भारत पर प्रभावों को स्पष्ट करें।
उत्तर भूमंडलीकरण ने विश्व अर्थव्यवस्था के साथ-साथ भारत को भी प्रभावित किया है। आज भूमंडलीकरण के कारण जीविकोपार्जन के क्षेत्र में काफी बदलाव आया है। भारत में रहने वाले लोगों के लिए भूमंडलीकरण के दौर में रोजगार के कई नवीन अवसर उपलब्ध हुए हैं, जैसे टूर एवं ट्रेवल एजेंसी (यातायात की सुविधा), रेस्टोरेंट, रेस्ट हाउस, आवासीय होटल इत्यादि । सूचना एवं संचार के क्षेत्र में भी क्रांति आ गई है। इस क्षेत्र में भी भारतीय लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त हुए हैं। आर्थिक भूमंडलीकरण ने हमारी आवश्यकताओं के दायरे को – बढ़ाया है और उसी अनुरूप उसकी पूर्ति हेतु नई-नई सेवाओं का उदय हो रहा है जिससे जुड़कर लाखों लोग अपना जीविका चला रहे हैं। भूमंडलीकरण की प्रक्रिया ने भारतीय लोगों के जीवन स्तर को भी बढ़ाया है।
प्रश्न 3. औद्योगिक क्रांति ने किस प्रकार विश्व बाजार के स्वरूप को विस्तृत किया ?
उत्तर – विश्व बाजार के स्वरूप का विस्तार औद्योगिक क्रांति के बाद ही हुआ। इस क्रांति ने बाजार को तमाम आर्थिक गतिविधियों का केंद्र बना दिया। जैसे-जैसे औद्योगिक क्रांति का विकास हुआ, बाजार का स्वरूप विश्वव्यापी होता चला गया और 20वीं शताब्दी के पहले तक तो इसने सभी महादेशों में अपनी उपस्थिति कायम कर ली। उत्पादन के बढ़ते आकार से कच्चे मालों की आवश्यकता हुई जिसने इंगलैंड को उत्तरी अमेरिका, एशिया (भारत) और अफ्रीका की ओर ध्यान आकर्षित किया जहाँ उसे कच्चा माल के साथ बना-बनाया एक बाजार भी मिला।
प्रश्न 4. औद्योगिकीकरण से आप क्या समझते हैं ?
अथवा, औद्योगिक क्रान्ति क्या है?
उत्तर औद्योगिकीकरण औद्योगिक क्रांति की देन है, जिसमें वस्तुओं का उत्पादन मशीनों के द्वारा होता है। इसमें उत्पादन वृहत् पैमाने पर होता है और उत्पादन के खपत के लिए बड़े बाजारों की आवश्यकता होती है। औद्योगिकीकरण नये-नये मशीनों का आविष्कार एवं तकनीकी विकास पर निर्भर करता है। औद्योगिकीकरण के प्रेरक तत्व के रूप में मशीनों के अलावा पूँजी निवेश एवं श्रम का भी महत्त्वपूर्ण स्थान है। अतः, औद्योगिकीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें उत्पादन मशीनों के द्वारा कारखानों में होता है। इस प्रक्रिया में घरेलू उत्पादन पद्धति का स्थान कारखाना पद्धति ले लेता है।
प्रश्न 5. स्लम से आप क्या समझते हैं ? इसकी शुरुआत क्यों और कैसे
उत्तर छोटे, गन्दे और अस्वास्थकर स्थानों में आवासीय स्थल ‘स्लम’ कहलाते हैं। औद्योगिकीकरण के दौरान शहर में रहने वाले श्रमिकों के लिए आवास की समस्या उत्पन्न हुई और उन्हें नारकीय स्थितियों में रहने को विवश होना पड़ा। इस प्रकार ‘स्लम’ क्षेत्रों की शुरुआत हुई ।
प्रश्न 6. घरेलू और कुटीर उद्योग को परिभाषित करें । [2015A] उत्तर लघु उद्योग-वैसे उद्योग जो छोटे पैमाने पर किया जाता है। जो स्वयं
एवं कुछ लोग मिलकर चलाते हैं उसे लघु उद्योग कहते हैं। लघु उद्योग देश की अर्थव्यवस्था के रीढ़ हैं। देश की औद्योगिक उत्पादन में इसका अंशदान 35 प्रतिशत है। देश के निर्यात में 40 प्रतिशत का योगदान है।
कुटीर उद्योग- कुटीर उद्योग का अर्थ ऐसे उद्योग से है जिनका स्वतंत्र कारीगर स्वयं तथा अपने परिवार की सहायता से अपनी पूँजी एवं साधारण औजारों से छोटे पैमाने पर चलाता है उसे कुटीर उद्योग कहते हैं।
प्रश्न 7. औद्योगिक आयोग की नियुक्ति कब हुई ? इसके क्या उद्देश्य थे ?
उत्तर औद्योगिक आयोग की नियुक्ति 1916 ई० में हुई। इसका उद्देश्य भारतीय उद्योग एवं व्यापार का पता लगाकर उसे सरकारी सहायता देना था।
प्रश्न 8. फैक्ट्री प्रणाली के विकास के लिए उत्तरदायी किन्हीं दो कारणों का उल्लेख करें।
अथवा, फैक्ट्री प्रणाली के विकास के किन्हीं दो कारणों को बताएँ।
उत्तर औद्योगिकीकरण के कारण फैक्ट्री प्रणाली का विकास हुआ। फैक्ट्री प्रणाली ने उद्योग एवं व्यापार के नये-नये केन्द्रों को जन्म दिया। जैसे लंकाशायर सूती वस्त्र उद्योग केन्द्र ।
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प्रश्न 9. बुर्जुआ वर्ग की उत्पत्ति कैसे हुई ?
उत्तर औद्योगिकीकरण के परिणामस्वरूप ही बुर्जुआ वर्ग की उत्पत्ति हुई। इसे ही मध्यम वर्ग कहा जाता है जिसने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में अंग्रेजों की शोषणमूलक नीति के खिलाफ सक्रिय भूमिका निभाई।
प्रश्न 10. उद्योगों के विकास ने किस प्रकार मजदूरों को प्रभावित किया ? उनपर पड़ने वाले प्रभावों पर आपकी क्या राय है
उत्तर उद्योग के विकास ने सामाजिक भेदभाव में वृद्धि की। समाज में पूँजीपति वर्ग, बुर्जुआ वर्ग और श्रमिक वर्ग का उदय हुआ। उद्योगों के विकास के फलस्वरूप पूँजीपति वर्ग ने उत्पादन एवं वितरण पर अधिकार कर श्रमिकों का शोषण भी किया, जिससे वर्ग संघर्ष की शुरुआत हुई।
प्रश्न 11. अठारहवीं शताब्दी में भारत के मुख्य उद्योग कौन-कौन-से थे ?
उत्तर- अठारहवीं शताब्दी में बस्त्र, धातु, चीनी तथा चमड़ा आदि भारत के प्रमुख उद्योग थे। सूती वस्त्र उद्योग के क्षेत्र में भारतीय उपमहाद्वीप विश्व का सर्वश्रेष्ठ उत्पादक क्षेत्र था।
प्रश्न 12. निरुद्योगीकरण से आपका क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – औद्योगीकरण के कारण भारत में कुटीर उद्योगों के इसी हास को निरुद्योगीकरण कहते हैं। उद्योगों का ह्रास होने लगा।
प्रश्न 13. गुमाश्ता कौन थे ?
उत्तर अंग्रेज व्यापारी एजेंट की मदद से भारतीय कारीगरों को पेशगी की रकम देकर उनसे उत्पादन करवाते थे। यहीं एजेंट गुमाश्ता कहलाते थे ।
प्रश्न 14. बाड़ाबंदी अधिनियम क्या है ?
उत्तर- ब्रिटेन में बाड़ाबंदी अधिनियम 1792 ई० से लागू हुआ। बाड़ाबंदी प्रथा के कारण जमींदारों ने छोटे-छोटे खेतों को खरीदकर बड़े-बड़े फार्म स्थापित किये ।इसके कारण छोटे किसान भूमिहीन मजदूर बन गये ।
प्रश्न 15. 1850-60 के बाद भारत में बगीचा उद्योग के विषय में लिखें।
उत्तर- 1850-60 के बाद भारत में बगीचा उद्योग में नील, चाय, रबड़, कॉफी और पटसन मिलों की शुरुआत हुई। इन उद्योगों पर अधिकतम विदेशी उद्योगपतियों का प्रभाव था तथा इन्हें सरकार द्वारा प्रोत्साहन दिया जाता था।
प्रश्न 16. औद्योगिकीकरण के कारण क्या थे ?
उत्तर- औद्योगिकीकरण के कारण थे आवश्यकता आविष्कार की जननी, नई-नई मशीनों का आविष्कार, कोयले एवं लोहे की प्रचुरता, फैक्ट्री प्रणाली की शुरुआत, सस्ते श्रम की उपलब्धता, यातायात की सुविधा तथा उपनिवेश स्थापित करने की होड़ ।
प्रश्न 17. 1813 ई० का चार्टर ऐक्ट क्या था ?
उत्तर 1813 ई० का चार्टर ऐक्ट ब्रिटिश संसद द्वारा पारित अधिनियम था जिसमें व्यापार पर से ईस्ट इंडिया कंपनी का एकाधिपत्य समाप्त कर दिया गया तथा एकाधित्य के स्थान पर मुक्त व्यापार की नीति (Policy of Free Trade) का अनुसरण किया गया।
प्रश्न 18. 1881 के प्रथम कारखाना अधिनियम (फैक्ट्री ऐक्ट) का परिचय दें ।
उत्तर-1881 में पहला ‘फैक्ट्री ऐक्ट’ (कारखाना अधिनियम) पारित हुआ । इसके द्वारा 7 वर्ष से कम आयु के बच्चों को कारखाना में काम करने पर प्रतिबंध लगाया गया, 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों के काम के घंटे तय किये गए तथा महिलाओं के भी काम के घंटे एवं मजदूरी तय की गई।
प्रश्न 19. विश्वव्यापी आर्थिक मंदी (1929-33) का भारतीय उद्योगों पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर- 1929-33 की विश्वव्यापी आर्थिक मंदी का भारतीय उद्योगों पर गहरा प्रभाव पड़ा। भारत प्राथमिक सामग्री के लिए आत्म निर्भर था, जिसका मूल्य घटकर आधा हो गया था। निर्यात किए जाने वाले सामानों का भी मूल्य घट गया था। इस तरह उद्योग पर निर्भर जनता की दिनों-दिन क्षति होने लगी।
प्रश्न 20 . द्वितीय विश्वयुद्ध के समय भारतीय उद्योगों की क्या स्थिति थी?
उत्तर – द्वितीय विश्वयुद्ध के समय मिलों द्वारा उत्पादित सूती कपड़ों की संपूर्ण मांग भारतीय मिलें ही पूरा कर रही थीं। भारतीय मिल-मालिकों ने इस अवसर का लाभ उठाया और विदेशी बाजारों में प्रवेश करना शुरू कर दिया। युद्ध के समय भारत का अपनी कोई इंजीनियरिंग उद्योग नहीं था और न ही मशीनों या यंत्रों के निर्माण करने का उद्योग था। केवल वे उद्योग ही स्थापित हो सके जो ब्रिटेन या अमेरिका में बनाई जाने वाली मशीनों का गठन करते थे।
प्रश्न 21. यातायात की सुविधा ने औद्योगिकीकरण की गति को किस प्रकार तीव्र किया ?
उत्तर- यातायात की सुविधा ने फैक्ट्री से उत्पादित वस्तुओं को एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाने तथा कच्चा माल को फैक्ट्री तक लाने में सहायता की। रेलमार्ग शुरू होने से पहले नदियों एवं समुद्र के रास्ते व्यापार होता था। जहाजों के द्वारा माल र्को तटों पर पहुँचाया जाता था। रेल के विकास ने औद्योगिकीकरण की गति को तीव्र कर दिया। रेलों द्वारा कोयला, लोहा एवं अन्य औद्योगिक उत्पादनों को कम समय में और कम खर्च पर ले जाना संभव हुआ। अतः यातायात की इन सुविधाओं ने औद्योगिकीकरण की गति को तीव्र कर दिया।
प्रश्न 22. सस्ते श्रम ने किस प्रकार औद्योगिकीकरण को बढ़ावा दिया ?
अथवा, औद्योगिकीकरण के विकास में सस्ते श्रम की भूमिका क्या रही ?
उत्तर- सस्ते श्रम की उपलब्धता औद्योगिकीकरण के विकास के लिए आवश्यक थी। ब्रिटेन में बाड़ांबंदी अधिनियम, 1792 ई० से लागू हुआ। बाड़ाबंदी प्रथा के कारण जमींदारों ने छोटे-छोटे खेतों को खरीदकर बड़े-बड़े फार्म स्थापित किये। किसान, भूमिहीन मजदूर बन गए। बाड़ाबंदी कानून के कारण बेदखल भूमिहीन किसान कारखानों में काम करने के लिए मजबूर हुए। अतः ये कम मजदूरी पर भी काम करने को बाध्य थे। इस सस्ते श्रम ने उत्पादन को बढ़ाने में सहायता की।परिणामस्वरूप, औद्योगिकीकरण का मार्ग प्रशस्त हुआ।
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